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लग्न कुण्डली और चंदर कुण्डली Lagna kundali and Chandra kundali

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लग्न कुण्डली और चंदर कुण्डली
                    Lagna kundali and Chandra kundali


लग्न कुण्डली ( Lagna kundali ) 

मे सभी ग्रहो को स्थित करने के लिए ।

जो राशि जातक( To whom birth-chart is related ) के जन्म समय 

पूरव मे उदित हो रही होती है

उसे प्रथम भाव ( first house )मे लिखा जाता है 

उसी राशि मे लग्न माना जाता है । 




उस के उपरान्त बाकी के ग्रहो को क्रमसे अलग अलग 

राशियो मे लिखा दिया जाता है ।       


जिस का पता हमे पंचाग से या जंतरी से चलता है । 

जन्म के समय जो ग्रह जिस राशि मे होता है 

उसे उसी राशि के भाव मे लिखा जाता है । 



उदाहरण नीचे चित्र ः

 लग्न कुण्डली मे चन्द्र  शनि ग्रह के साथ तुला  राशि मे 

और सातवे भाव मे है ।

लगन राशि मेष है ।


 

चंदर कुण्डली     (Chandra kundali )

 चंदर लग्न कुण्डली मे जिस भाव मे होता है

उसे राशि सहित (सारी कुण्डली को घुमा के ) प्रथम भाव मे लिख दिया 


जाता है । सभी ग्रह उसी जन्म समय राशि मे रहते है 

जैसे लग्न कुण्डली मे, मात्र  राशियो के भाव बदल जाते है।

चन्द्र ग्रह को, (जिस राशि मे वह लगन कुण्डली मे होता है,) 

के साथ चन्द्र को

कुण्डली (चन्द्र) मे प्रथम भाव मे लिखा जाता है ।

उदाहरण नीचे चित्र ः

चन्द्र कुण्डली मे चन्द्र  शनि ग्रह के साथ मेष   राशि मे 


और  प्रथम भाव मे है ।



 



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