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कर्म ही भविष्य है । कर्म अच्छा या बुरा कैसे ?




कर्म ही भविष्य  है । कर्म अच्छा या बुरा कैसे ? 







नमस्ते मित्रों ।

अक्सर यह प्रश्न पूछा जाता है कि मैं तो सभी का अच्छा करता हूँ

 फिर फल बुरा कियु मिलता है ?

फलां आदमी हमेशा बुरा करता फिर भी उसको कुछ नही होता ?


मित्रों यही पर कर्म का लेखा-जोखा सामने आता है । 

कर्म होने से पहले शरीर मे बहुत कुछ होता है । 

कर्म से पहले कर्म का विचार, कर्म के विचार से पहले, कर्म का भाव । 

आमतौर पर यह आपकी बेहोशी मे ही धट जाता है आप 

अपनी जींदगी मे इतने खोए होते है कि कब भाव जागा ? 

कब विचार बना ?कब कर्म बन गिया ? पता तब चलता है 

जब घटना धट चूकी होती है ।

  कईयों को तो कर्म के बाद भी पता नही चलता।

 कर्म को हम धटने से पहले भी रोक सकते है अगर होश हो तो। 

होश आता है ध्यान से।

  ध्यान को इसीलिए महत्वपूर्ण कहा गया है ।

ध्यान की गहराईयो मे उतर कर ही कर्म के सिंघात को समझा जा सकता है ।

 जरा सोचो गौतम बुद्ध राजकुमार थे । होने वाले राजा थे।

चाहते तो तलवार के दम पर सभीको ध्यान करवा सकते थे । 

पर ध्यान कुछ ऐसी व्यवस्था है जो आप के करने से धटती है ।
 
दूसरा ध्यान वीधि बता सकता है। 

ध्यान की तैयारी का कर्म आप को करना पडता है । 

ध्यान में और बहुत सेे सूूत्र होतेे है ।

  उन पर बात फिर कभी करेेंगे।

योग के प्रयोग से भी ध्यान मे उतर सकते है

ज्योतिषशास्त्र का ज्ञान यहा काम करता है ।

अगर आप ध्यान और योग नही सकते तो जो गलत कर्म जो हो गए है। बेहोशी मे ।

 ज्योतिषशास्त्र के ज्ञान से कुछ हद तक सुधार सकते हो।

कर्म जो किया है फल जरूर देता है ।

अच्छा या बुरा फल भुगतना ही पड़ता है ।

 ज्योतिष उसको समय से पहले ज्ञात कर असर कम कर सकता है

छोटे-छोटे उपाय आप की किस्मत बदल सकते है ।


धन्यवाद् ।।

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