ऊँ नमः शिवाय।
मनुष्य चाहे जितनी दौड धूप कर ले मिलेगा वही जो उस
के कर्म के अनुसार है ज्योतिष के अनुसार कुण्डली मे
ग्रहों की स्थिति इंसान के कर्मो का लेखा-जोखा है । उस
से इंसान भाग नही सकता उसे कर्मो का फल भोगना ही
पडता है । फिर ज्योतिष का योगदान क्या हुआ ?
भारतीय ज्योतिष के द्वारा कुण्डली का निर्माण होता है
फिर अध्ययन से जातक के जीवन में होने वाली शुभ
एवं अशुभ धटनायो का ज्ञान होता है
फिर निवारण होता है ।
ग्रह जीवन के हर क्षेत्र पर प्रभाव डालते है ।
व्यापार के बारे मे जानने के लिए कुण्डली के दशम भाव
का अध्ययन किया जाता है इस के साथ अर्थ से जुड़े
भावो का 2,6 व 10 एक साथ भी अध्ययन किया जाता
है ।
चन्द्र से अथवा लग्न से दशम भाव जो बलि हो उसको
लिया जाता है ।
दशम भाव के नवांश का स्वामी भी अपनी भूमिका
निभाता है ।
ऐसे तो बहुत सारे सूत्र है पर उपरोक्त सूत्रों से जातक के
व्यवसाय का ज्ञान हो जाता है ।
जातक चाह कर भी ग्रहों के विरुद्ध नही जा सकता
अपितु कुछ महान ज्योतिषी हुए है और है भी जो अपने
अनुभवों से जातक का दुःख निवारण करते है।
धन्यवाद् ।।
Comments