ऊँ नमः शिवाय ।
नमस्कार मित्रों ।
मुख्यतः संसार मे लोगो को
तीन वर्गो मे बाँटा जा सकता है ।
तीन वर्गो मे बाँटा जा सकता है ।
पहले वर्ग
मे बहुत कम लोग होते है जो
अपने वर्तमान से खुश है ।
अपने वर्तमान से खुश है ।
दूसरे वर्ग
मे अधिकतर लोग हमेशा कमी ही महसूस करते है ।
और जाने-अनजाने अपने दुःख को बड़ा लेते है ।
पहला वर्ग
जो लोग खुश है वो ज्यादा तर वर्तमान मे रहने वाले होते
जो लोग खुश है वो ज्यादा तर वर्तमान मे रहने वाले होते
है और जाने-अनजाने मे लोगो की मदद कर पाते है
और
और
अपने सु:ख को बड़ा पाते है ।
तीसरे वर्ग
के लोग इन दोनो वर्गो के लोगों मे इधर-उधर होते रहते
है।
और कभी खुश और कभी उदास होते रहते है ।
और कभी खुश और कभी उदास होते रहते है ।
धीरे-धीरे यह कर्म आदत बन जाती है ।
फिर यह आदत अपने आप जारी रहती है ।
इंसान यह समझ नही पाता की उसके साथ क्या हो रहा है ।
वह दूसरे लोगो पर इसकी जिम्मेवारी डाल देता है ।
और इंसान एक वर्तूल मे घूमने लगता है ।
ध्यान भी एक मार्ग है ।
ध्यान की विधियो का इस्तेमाल करके विवेक को जगा कर
साक्षी भाव मे इस वर्तूल से बाहर निकला जा
साक्षी भाव मे इस वर्तूल से बाहर निकला जा
सकता है ।
ज्योतिष के सहयोग से यह जाना जा सकता है कि
जीवन के किस पडाव पर वो स्थिति बनेंगी जब इंसान
अपने ग्रहों का साथ पाकर इस वर्तूल को भेद सकता है।
बम बम भोले।।
धन्यवाद् ।।