सही मार्ग कौन बताये ?
नमश्ते दोस्तो,
आज का हमारा विषया है : सही मार्ग कौन सा, कैसा , कैसे पता चले ।
तो दोस्तो, यहॉ मे अपने अनुभव से बता रहा हॅू । जैसा मैने जाना, सुना- सूनाया नही ,
महसू्स कि्या। जिया, निचोडा ।
आप ने देखा होगा जब कभी भी हम कोई कार्या करते है
तो कुछ लोगो को पसंद आता है कुछ को नही , कुछ को ठीक ठाक ।
तो उसी से हम ये निर्णय लेते है कि कार्या सही या गलत ।
थोडा ओर गहराई मे जाये तो
जिस कार्या को कर के मन प्रसन्न होता वो सही दूसरा गलत ।
लेकिन एक ओर भी रहस्यमय ओर पर्मानिक सूत्र है जो हमे सही या
गलत की पहचान करवाता है । जिस पर आधुनिक संसार मे कम ही
बात होती है । उस को समझने के लिए हमे इन्सान की उत्पत्ती को समझना होगा ।
इन्सान संसार कि सम्भाविक जीवन लीला का अंतिम जीव या विकसित
जीव है । इन्सान का बोध्दिक स्तर सभी जीवो से उत्तम है ओर विकासशील है ।
जो निर्णतर विकास कर रहा है अपना भी ओर सभी जीवो का भी ।
अगर हम कहे इन्सान जब अपनी सारी सम्भावनायो के पार हो जाएगा तो
परमात्मा हो जाएगा तो बिलकुल सही होगा ।
एक तरफ
जब एक इन्सान हर प्रकार की सम्भावाना के पार और स्वय का मालिक हो
जाएगा तो इन्सान से परमात्मा हो जाऐगा ।
दुसरी तरफ
जब एक इन्सान अपनी सम्भावना को खो देगा और दूसरे का गुलाम हो
जाएगा तो इन्सान से जानवर हो जाएगा ।
अभी तक के मेरे अनुभव से जो कार्या इन्सान को जानवर से परमात्मा
कि तरफ ले जाऐ वो सही
ओर जो कार्या इन्सान को जानवर से भी गिरा दे गलत ।
मेरा अनुभव आप के अनुभव से अलग हो सकता है ओर आगे चल के
बदल भी सकता है ।
जीवन एक असीम सम्भावना है तर्क के दवारा किसी को भी गलत
या सही कहा जा सकता है
धन्यावाद ।
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