ॐ
भूर्भुवः स्वः
तत्सवी- तुवरण्यम
भर- ्गो देवसयाह
धीमही धियो यो न:
प्रचोदयात् ।
भूर्भुवः स्वः
तत्सवी- तुवरण्यम
भर- ्गो देवसयाह
धीमही धियो यो न:
प्रचोदयात् ।
संस्कृत मे ।
ॐ
भूर्भुवः स्वः
तत सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमही धियो यो न: प्रचोदयात्।
भूर्भुवः स्वः
तत सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमही धियो यो न: प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में ( कल युग मे ) सबसे महत्वपूर्ण मंत्र माना जाता है ।
यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है।
यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है।
इस मंत्र का मतलब है :-
हे प्रभु ,
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये ।
हे प्रभु ,
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये ।
यह मंत्र सूर्य देवता की प्रार्थना के समय भी गाया जाता है ।
इस मंत्र को दिन मे कभी भी पड़ सकते हैं ।
सुबह और शाम को तो क्या कहना ।
मंत्र पड़ते समय इस के उच्चारण को अगर सुना
जाए तो अदभुत लाभ होता है ।
इस मंत्र को दिन मे कभी भी पड़ सकते हैं ।
सुबह और शाम को तो क्या कहना ।
मंत्र पड़ते समय इस के उच्चारण को अगर सुना
जाए तो अदभुत लाभ होता है ।
धन्यवाद ।